लेखनी कहानी -04-Dec-2021
वो सुकून भरे पल
वो सुकून भरे पल लाऊँ कहाँ से,
लगता है सुकून हम से रूठ गया है।
या यूँ कहो सुकून से नाता ही टूट गया है।
बेशक हम मुस्कराते है,
पर उस मुस्कान के पीछे कई गम छिपाते है।
ये जिंदगी ही ऐसी है
के हँस कर हर सितम उठाते हैं।
वो सुकून अब शायद तब मिलेगा
जब मिट्टी में शरीर जा मिलेगा।
तब शायद सुकून की हम से मुलाकात हो
फिर हम पर भी सुकून की बरसात हो।
By-Rekha mishra
Rohan Nanda
15-Dec-2021 07:40 PM
Kafi achcha likhti aap ma'am, kab se likh rhin aap
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आर्या मिश्रा
05-Dec-2021 02:41 AM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
05-Dec-2021 01:40 AM
बहुत खूबसूरत
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